हरियाणा में अपराध के आंकड़े विकास के आंकड़ों से आगे निकलते दिख रहे हैं। राज्य में अपराधमुक्त शासन देने के सरकार के दावों को नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों ने धो डाला है। ब्यूरो ने राज्य को अपराध के लिए बदनाम राज्यों की सूची में 12वें नंबर पर गिना दिया है।
देश में आबादी का कुल 2.09 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले हरियाणा का अपराध का हिस्सा 2.7 फीसदी हो गया है। इधर, पुलिस विभाग का दावा है कि पुलिस पर जनता का विश्वास बढ़ने से लोग मामले दर्ज कराने के लिए आगे आने लगे हैं और इसके चलते ग्राफ बढ़ा लगता है।
ब्यूरो की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। हत्याओं के मामले में तो स्थिति चौंकाने वाली है। साल 2010 में पिछले एक साल के दौरान ही राज्य में एक हजार से अधिक हत्याएं हुई हैं।
हत्याओं के अलावा फिरौती के लिए अपहरण के मामलों में भी बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने बताया है कि राज्य में एक हजार से अधिक हत्याओं के अलावा पिछले एक साल के दौरान साढ़े नौ सौ से अधिक अपहरण और सात सौ से अधिक लूट की घटनाएं दर्ज की गइर्ं। डेढ़ सौ के करीब डकैतियां भी डाली गईं।
पिछले साल राज्य में विभिन्न मामलों और दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत अस्सी हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए। यह तादाद हरियाणा के दोनों पड़ोसी राज्यों पंजाब और हिमाचल प्रदेश के अलावा दिल्ली के मुकाबले कहीं अधिक है।
कुल मिलाकर राज्य में हिंसात्मक अपराधों का प्रतिशत बढ़कर 27 हो गया है जो पड़ोसी राज्य पंजाब के 15 प्रतिशत के मुकाबले कहीं अधिक है। हिंसात्मक अपराध का राष्ट्रीय औसत 20 है।
ब्यूरो के रिकॉर्ड के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ अपराधों का रिकॉर्ड भी हरियाणा में अच्छा नहीं दिख रहा। इस दौरान बलात्कार के सात सौ अधिक मामले दर्ज किए गए जबकि तीन सौ के करीब दहेज संबंधी हत्याएं दर्ज की गई। इसके मुकाबले पंजाब में बलात्कार के साढ़े पांच सौ और दहेज संबंधी सवा सौ हत्याएं दर्ज हुईं।
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